Thursday, June 2, 2016

स्कूल चलें हम





 ऑटो ड्राइवर की बेरुखी का आलम देखिए। कैसे ऑटो में भेड़-बकरियों की तरह ठूंसकर स्कूल ले जा रहा है बच्चों को।


यह है जम्मू-कश्मीर के लद्दाख जिले का सबसे प्रमुख शहर लेह। यहां इस तरह बर्फीली वादियों में स्कूल लेकर जा रहे हैं बच्चे के पिता।



पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले स्थित बेलडांगा में ऑटो रिक्शा में इस तरह सफर कर स्कूल जाते हैं बच्चे



लद्दाख के जांस्कर में बर्फीले रास्ते को कुछ यूं पार कर स्कूल जा रहे हैं बच्चे।


आगरा में रिक्शे पर ओवरलोडिंग के बाद बीच सड़क पर दुर्घटना को निमंत्रण देते बच्चे।





मेघालय में कुछ यूं बनी पुलिया को पार कर बच्चे कर रहे हैं स्कूल का सफर पूरा।


देश की राजधानी दिल्ली में बच्चे ठेली पर यूं स्कूल जाने को हैं मजबूर।






कश्मीर में संकरी पटरी से नाला पार कर स्कूल जाने को मजबूर स्कूली बच्चे।



केरल में ऐसे नाव में ओवरलोडिंग का शिकार होकर बच्चे नदी पार कर कर रहे हैं स्कूल जाने की कोशिश। 



स्कूल  चलें हम 
सौजन्य इंडिया सम्बाद





4 comments:

  1. बहुत खतरनाक है यह सब। . बच्चों के अभिभावकों को भी सोचना चाहिए।
    .. मेघालय में नदी पर बन पेड़ का पुल तो मजबूत होगा। . लेकिन और जगह जान की परवाह नहीं है विशेषकर देश की राजधानी दिल्ली में जब हाल ये है तो और जगह क्या हालात होंगे , यह आसानी से कोई भी समझ सकता है ...
    जागरूक कराती सार्थक चिंतन प्रस्तुति

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (04-06-2016) को "मन भाग नहीं बादल के पीछे" (चर्चा अंकः2363) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. आँखें खोलने वाला पोस्ट

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  4. मदन जी,
    पूरे देश में ही यही हाल है। ऑटो वालों से ज्यादा अभिभावकों की लापरवाही कही जा सकती है। वैसे कम वाहनों की मजबूरी भी हो सकती है पर बच्चों की सुरक्षा पहले होनी चाहिए।

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