Thursday, November 21, 2013

तेरा मेरा साथ आज तेरह बर्ष का। 





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Sunday, November 17, 2013

देव दीपावली







 





काशी में देव दीपावली मनाने की परंपरा अति प्राचीन काल से सिर्फ पंचगंगा घाट पर थी. देव दीपावली का वर्तमान स्वरूप 1989 में वजूद में आया जो आज बढ़ कर महोत्सव का रूप ले चुका है. देव दीपावली आयोजन के सम्बन्ध में दो पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं. पहला यह कि काशी के पहले राजा दिवोदास ने अपने राज्य में देवताओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई थी. लेकिन कार्तिक मास में पंचगंगा घाट पर स्नान के महात्म्य का लाभ लेने के लिए देवता छिप कर यहां आते रहे. बाद में देवताओं ने राजा दिवोदास को मना लिया और खुशी में दीपोत्सव हुआ. दूसरी कहानी के अनुसार त्रिपुर नामक राक्षस पर विजय के पश्चात देवताओं ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने सेनापति कार्तिकेय के साथ शंकर की महाआरती की थी और नगर को दीपमालाओं से सजा कर विजय दिवस मनाया था.

Wednesday, November 6, 2013

मेरी पोस्ट मंगल पर मंगल ( भारत का प्रयास) जागरण जंक्शन फोरम सोशल मीडिया में


मेरी पोस्ट मंगल पर मंगल ( भारत का प्रयास)  जागरण जंक्शन फोरम सोशल मीडिया में

प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी पोस्ट मंगल पर मंगल ( भारत का प्रयास) जागरण जंक्शन फोरम सोशल मीडिया )  को जागरण जंक्शन में शामिल किया गया है .


 

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मंगल पर मंगल ( भारत का प्रयास)
मंगल ग्रह के बारे में जानने की उत्सुकता पूरी दुनिया को है
देश-दुनिया के खगोलविदों के बीच अध्ययन के लिए
यह बेहद रोमांचक विषय रहा है.
अमेरिका और रूस समेत कई यूरोपीय देश
पिछले कुछ दशकों से मंगल ग्रह पर पहुंचने
और वहां इनसान को बसाने की संभावनाओं का पता लगाने में जुटे हुए हैं.
इस अभियान में भारत भी शामिल होना चाहता है.
आज
भारत ने अपने पहले मंगल ग्रह परिक्रमा अभियान (एमओएम) के लिए
ध्रुवीय रॉकेट को आज यहां स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से
सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करके इतिहास रच दिया.
चुनिंदा देशों में शामिल होने के प्रयास के लिए
भारत का यह पहला अंतर ग्रहीय अभियान है.
गल ग्रह के बारे में जानने की उत्सुकता पूरी दुनिया को है
देश-दुनिया के खगोलविदों के बीच अध्ययन के लिए
यह बेहद रोमांचक विषय रहा है.
अमेरिका और रूस समेत कई यूरोपीय देश
पिछले कुछ दशकों से मंगल ग्रह पर पहुंचने
और वहां इनसान को बसाने की संभावनाओं का पता लगाने में जुटे हुए हैं.
इस अभियान में भारत भी शामिल होना चाहता है.
उम्मीद की जा रही है कि यह अंतरिक्ष यान
इस ग्रह के दोनों हिस्सों की जानकारी मुहैया करा पाने में सक्षम होगा.
भारत इस मिशन के जरिये दुनिया को
यह संदेश देने के साथ ही यह भरोसा दिलाना चाहता है
कि उसकी तकनीक इस लायक है, जिसके सहारे
मंगल की कक्षा में अंतरिक्ष यान को भेजा जा सकता है.
इसके अलावा, इस मिशन का कार्य
मंगल पर जीवन की संभावनाओं का पता लगाना
इस ग्रह की तस्वीरें खींचना
और वहां के पर्यावरण का अध्ययन करना है.
इस अभियान में
अत्यधिक धन खर्च होने की आशंका जतायी गयी है
जिसके चलते इस अभियान की आलोचना भी की जा रही है
अंतरिक्ष यान के साथ कई प्रकार के प्रयोगों को अंजाम देने के लिए
अनेक उपकरण भी भेजे जा रहे हैं
इन सभी उपकरणों का वजन तकरीबन 15 किलोग्राम है
मंगल की सतह, वायुमंडल और खनिज आदि की जांच के लिए
उपकरण भेजे जा रहे हैं.
यह अंतरिक्ष यान मुख्य रूप से मंगल पर
मीथेन गैस की मौजूदगी बारे में पता लगायेगा.
मीथेन गैस को जीवन की संभावनाओं के लिए
एक अहम कारक माना जाता है.
यह बताया गया है कि लॉन्च होने के बाद
मार्स सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने के बाद
करीब 10 महीने तक अंतरिक्ष में घूमता रहेगा.
इस दौरान वह अपने प्रोपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल करेगा
और सितंबर, 2014 तक उसके मंगल की कक्षा तक पहुंच जाने की संभावना है.
किन्तु मौलिक चिंता का विषय
ये है कि
भारत में भले ही
हर गांव को पक्की सड़क से जोड़ने की योजना पूरी नहीं हुई हो
लेकिन देश का शीर्ष नेतृत्व और हमारे वैज्ञानिक
मंगल पर इनसान को बसाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं
इतना ही नहीं
देश में करोड़ों की आबादी शौचालय की सुविधा से महरूम हो
तो ऐसे में इस तरह के अभियान पर
अरबों रुपया पानी की तरह बहाना
कुछ हद तक चिंतनीय जरूर लगता है.
कुछ लोगों ने चिंता जतायी है
कि उन्हें यह समझ नहीं आ रहा
कि आखिरकार भारत मंगल मिशन को इतनी तवज्जो क्यों दे रहा है
जबकि देश में आधे से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं
और अब तक देश में आधे से अधिक परिवारों को
सरकार समुचित शौचालय
और स्वच्छ मौलिक सुविधाएं नहीं मुहैया करा पायी है.
इस अभियान के आलोचकों का तो यहां तक मानना है
कि एशिया में अब तक किसी भी देश ने
मंगल अभियान शुरू करने की हिम्मत नहीं जुटायी
तो भारत क्यों इस दिशा में आगे बढ़ रहा है
इसके जवाब में
इसरो के मुखिया राधाकृष्णन का कहना है
कि मंगल अभियान एक ऐतिहासिक जरूरत है
खासकर जब यहां पानी की खोज की जा चुकी है
तो इस ग्रह पर स्वाभाविक जीवन की संभावनाएं भी तलाशी जा सकती हैं.



प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना








हाल में प्रकाशित कुछ रचनाएँ

हाल में प्रकाशित कुछ रचनाएँ






मदन मोहन सक्सेना
मेरी ग़ज़ल युबा सुघोष ,बर्ष -२, अंक 9, नवम्बर , २०१३ में प्रकाशित हुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएँ .

क्या सच्चा है क्या है झूठा अंतर करना नामुमकिन है 
हमने खुद को पाया है बस खुदगर्जी के घेरे में



एक जमी वख्शी थी कुदरत ने हमको यारों  लेकिन 
हमने सब कुछ बाँट दिया है मेरे में और तेरे में


आज नजर आती मायूसी मानबता के चेहरे  पर 
अपराधी को शरण मिली है आज पुलिस के डेरे में


बीरो की क़ुरबानी का कुछ भी असर नहीं दीखता है 
जिसे देखिये चला रहा है सारे तीर अँधेरे में 

जीवन बदला भाषा बदली सब कुछ अपना बदल गया है 
अनजानापन लगता है अब खुद के आज बसेरे में 


प्रस्तुति
मदन मोहन सक्सेना 






























Friday, November 1, 2013

दीपों का त्यौहार





























दीपों  का त्यौहार

मंगलमय हो आपको दीपों  का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..

मुझको जो भी मिलना हो ,बह तुमको ही मिले दौलत
तमन्ना मेरे दिल की है, सदा मिलती रहे शोहरत
सदा मिलती रहे शोहरत  ,रोशन नाम तेरा हो
ग़मों का न तो साया हो, निशा में न अँधेरा हो

दिवाली आज आयी है, जलाओ प्रेम के दीपक
जलाओ प्रेम के दीपक  ,अँधेरा दूर करना है
दिलों में जो अँधेरा है ,उसे हम दूर कर देंगें
मिटा कर के अंधेरों को, दिलों में प्रेम भर देंगें

मनाएं हम तरीकें से तो रोशन ये चमन होगा
सारी दुनियां से प्यारा और न्यारा  ये बतन होगा
धरा अपनी ,गगन अपना, जो बासी  बो भी अपने हैं
हकीकत में बे बदलेंगें ,दिलों में जो भी सपने हैं


मदन मोहन सक्सेना

Wednesday, October 30, 2013

दीवाली और मैं


 दीवाली और मैं 

दीवाली का पर्ब है फिर अँधेरे में क्यों रहूँ
आज मैनें फिर तेरी याद के दीपक जला लिए   …